CSCE TUTORIAL
विराम चिह्न
लिखते समय रुकने वाले स्थानों को प्रकट करने के लिए कुछ विशेष चिह्न लगाने पड़ते हैं, उन्हीं चिह्नों को विराम-चिह्न कहते हैं।
ये तेरह हैं-
- पूर्ण विराम (Full Stop) ( I )
- अल्प विराम (Comma) (.)
- अर्ध विराम (Semicolon) (;)
- प्रश्नवाचक चिह्न (Mark of Interrogation)(?)
- विस्मय वाचक-चिह्न (Mark of Exclamation)(!)
- उप विराम / अपूर्ण विराम (Colon)(:)
- निर्देशक-चिह्न (Dash) _
- विवरण – चिह्न (Sign of Following) (:-)
- लाघव – चिह्न (Sign of Abbreviation) (•)
- योजक-चिह्न (Hyphen) (-)
- कोष्ठक (Brackets) ( )
- उद्धरण चिह्न (Inverted Comma) (” “) (‘ ’)
- त्रुटि पूरक (^)
(अभ्यास कार्य)
निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए–
- स्त्री- बस, आप इस मुकदमे को ले लें I मैं आपको तीन हज़ार रुपए रोज़ दूँगीI
- मेरा बचपन ! क्या यह हाल की बात है?
- उन चार चेहरों के आठ- आठ जोड़ी दाँत I आहा ! मानो धूप में रखे आईने की तरह चमक उठते I
- जब तक अलाव जलते रहेंगे ; तब तक बची रहेगी आग , बची रहेगी सामूहिकता, बचा रहेगा खुलकर कह- सुन सकने का चलन I
- हम कर्मशील बनें I हमारी कारीगरी बढ़े, तभी हमारा भाग्योदय होगा I
- उसने उनके कान में जाकर कहा – “उठो मियाँ, उठो जागो ,जागने का वक़्त हैI”
- हाँ, देख लेना तुम I ताना मार रहे हो, लेकिन मैं दिखा दूँगा ;धन को कितना तुच्छ समझता हूँ I
- धन के लिए माँ -बाप, भाई- बंधु सबसे अलग यहाँ पड़ा हूँ , न जाने अभी कितनी सलामियाँ देनी पड़ेंगी , कितनी खुशामद करनी पड़ेगी ?
- अब कहाँ जाओगे ? यहीं सो रहो I और बातें हों , तुम तो कभी आते भी नहीं I
- मालिक जी जैसे सेवा व्रती निश्छल व्यक्ति भगवान की याचना अनुग्रह से ही मिलते हैं बिनु हरि कृपा मिलिए नहीं संता
- यह सब तो हुआ पर मालिक जी को जैसे गुरुमंत्र ही मिल गया अगर पीड़ा है तो आशा भी है
- उन्होंने निष्कर्ष दिया ज़्यादती उनकी है गलती हमारी मैंने पूछा गलती कौन सी
- उसके साथ कुछ मिठाई नमकीन बिस्कुट मौसमी फल जैसे सेब अमरूद केला संतरा यानी कि जी खोल कर स्वागत होता
- उन दिनों फ़ोटो नहीं खींची जाती थी भला यह कैसे कहा जा सकता है बात है कितनी पुरानी विधान बाबू का बचपन अभी तीस पैंतीस साल पहले की ही तो बात है
- मुझे क्या परेशानी होगी चल तो तुम रहे हो दिन में दस बीस मील गरम रेत पर मैं तो मज़े से बैठा हूँ कंधे पर
- आचार्यों ने कहा सेवा देने की चीज़ है लेने की नहीं सेवा लेने के अधिकारी बच्चे असहाय और वृद्ध हैं
- माताजी ने कहा सब ठीक ठाक होना चाहिए वरना बीच अंतरिक्ष में चलान कर दूँगा
- गुरुदेव हमारी तो बड़ी आफ़त है तमाम भले लोग आते हैं और कहते हैं उस बेचारे बेक़सूर को क्यों फँसा रहे हैं ऐसा तो चंद्रलोक में कभी नहीं हुआ
- कौन कहता है आप अकेली हैं महारानी आप तो गीता पढ़ती हैं फिर यह निराशा कैसी
- स्वराज्य प्राप्ति से बढ़कर है स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार करना स्वराज्य की नींव का पत्थर बनना